Monday, November 30, 2009

कहते हो न देंगे हम दिल

कहते हो, देंगे हम दिल, दिल अगर पड़ा पाया
दिल कहाँ, की गुम कीजे, हमने मुद्दा पाया
इश्क से, तबियत ने, ज़ीस्त* का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई, दर्द--बेदवा पाया
*दोस्तदारे-दुश्मन , एतिमादे-दिल मालूम
आह बे असर देखि, नाला -रसा* पाया
सादगी--पुरकारी*, बेखुदी--हुशियारी
हुस्न को तगाफुल* में, जुरअत-आज़मा* पाया
गुंचा फिर लगा खिलने, आज हमने अपना दिल
खून किया हुआ देखा, गुम किया हुआ पाया
हाले-दिल नही मालूम, लेकिन इस कदर यानी
हमने बारहा ढूँढा, तुमने बारहा पाया
*शोर-पन्द-नासेह ने ज़ख्म पर नमक छिड़का
आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया


- ग़ालिब

ज़ीस्त - ज़िन्दगी; दोस्तदारे-दुश्मन - दुश्मन का दोस्त; नाला -रसा - न पहुँचने वाला; पुरकारी - चालाकी; तगाफुल - उदासीनता; जुर्रत-आजमा - धैर्य का परीक्षक; शोर-पन्द-नासेह - उपदेशक की कटुता.

7 comments:

rwac48 said...

U r doing yeoman service for gazal lovers who do not know urdu.Thank u!

baavriviti said...

post karne ke liye shukriya janab :D

Danish said...

Thanks for posting :) Really, Ghalib ka hai andaaz-e-bayan aur...and i hardly find his lesser known ghazals. Please continue the good work... :)

Kadambari said...

Bahut khoob! Shukriya janab!

Srushti Rao said...

Awesome! Thanks for sharing :D...

Toon Indian said...

cool dhanyaavaad for sharing this beautiful creation!!

harshita s said...

Jab kabhi is or nazar padhe to zaroor dekhein ki hum bhi kitne badnsaeeb hain, ki khushmeesaj dil to lekar baithe hain, magar koi churane wala tak nahi. - Ghalib Sahab