अगर है अश्क तो औरों के गम में बहना सीख
अगर है हादसा तो दिल से दूर-दूर ही रह
अगर है दिल तो सभी हादसों को सहना सीख
अगर तू कान है तो झूठ के करीब न जा
अगर तू होंठ है तो सच बात को ही कहना सीख
अगर तू फूल है तो खिल सभी के आँगन में
अगर तू ज़ुल्म की दीवार है तो ढहना सीख
अहम् नही है तो आ तू 'कुंवर' के साथ में चल
अहम् अगर है तो फिर अपने घर में रहना सीख
- कुंवर बेचैन
(आँधियों धीरे चलो)
(आँधियों धीरे चलो)
काफ़ी समय से कुंवर बेचैन को पढ़ना चाहता था। और इस बार साहित्य अकादेमी लाइब्रेरी में ये गजलों का संग्रह मिला तो रोक नही पाया ख़ुद को इसे इश्यु कराने से! एक और भी किताब लाया हूँ, अज्ञेय की संपूर्ण कहानियाँ। पता नही कब पढ़ पाऊँगा। कुछ अच्छा मिला तो ज़रूर यहाँ पोस्ट करूंगा।
अच्छा लगता है जब आप सब इस ब्लॉग पर आकर ये सब पढ़ते हैं और अपने विचार लिखते हैं। शुक्रिया :)
-आदि
अच्छा लगता है जब आप सब इस ब्लॉग पर आकर ये सब पढ़ते हैं और अपने विचार लिखते हैं। शुक्रिया :)
-आदि
9 comments:
bahut khoobsoorat ghazal hai :) main bhi padhna chahungi yeh sangreh...dekhte hain kab mauka lage. aap maze lijiye :) aur bhi post kariyga agar kuch achcha lage to.
this is really nice.. i loved the last lines :)
अति उत्तम! loved these lines :)
Nice 1 :) how do i comment in hindi :p
thanks all.
ooops. no idea Danish! struggling to get that Hindi feature going when it comes to comments :)
masha allaah
ji shukriya to humein aapka ada karna chahiye, itni khoobsurat nazmein aur ghazalein humein padhne ka mauka milta hai :)
beautiful.... :))
beautiful.... :))
bahut din se aisa kuchh nahi padha... ye bahut der tak saath rahegi... thank you!
Post a Comment