Friday, December 04, 2009

जो तू हँसी है तो हर एक अधर पे रहना सीख

जो तू हँसी है तो हर एक अधर पे रहना सीख
अगर है अश्क तो औरों के गम में बहना सीख

अगर है हादसा तो दिल से दूर-दूर ही रह
अगर है दिल तो सभी हादसों को सहना सीख

अगर तू कान है तो झूठ के करीब न जा
अगर तू होंठ है तो सच बात को ही कहना सीख

अगर तू फूल है तो खिल सभी के आँगन में
अगर तू ज़ुल्म की दीवार है तो ढहना सीख

अहम् नही है तो आ तू 'कुंवर' के साथ में चल
अहम् अगर है तो फिर अपने घर में रहना सीख

- कुंवर बेचैन
(आँधियों धीरे चलो)

काफ़ी समय से कुंवर बेचैन को पढ़ना चाहता था। और इस बार साहित्य अकादेमी लाइब्रेरी में ये गजलों का संग्रह मिला तो रोक नही पाया ख़ुद को इसे इश्यु कराने से! एक और भी किताब लाया हूँ, अज्ञेय की संपूर्ण कहानियाँ। पता नही कब पढ़ पाऊँगा। कुछ अच्छा मिला तो ज़रूर यहाँ पोस्ट करूंगा।
अच्छा लगता है जब आप सब इस ब्लॉग पर आकर ये सब पढ़ते हैं और अपने विचार लिखते हैं। शुक्रिया :)

-आदि

9 comments:

baavriviti said...

bahut khoobsoorat ghazal hai :) main bhi padhna chahungi yeh sangreh...dekhte hain kab mauka lage. aap maze lijiye :) aur bhi post kariyga agar kuch achcha lage to.

Richa said...

this is really nice.. i loved the last lines :)

Anonymous said...

अति उत्तम! loved these lines :)

Danish said...

Nice 1 :) how do i comment in hindi :p

delhidreams said...

thanks all.

ooops. no idea Danish! struggling to get that Hindi feature going when it comes to comments :)

harshita s said...

masha allaah
ji shukriya to humein aapka ada karna chahiye, itni khoobsurat nazmein aur ghazalein humein padhne ka mauka milta hai :)

Unknown said...

beautiful.... :))

Unknown said...

beautiful.... :))

How do we know said...

bahut din se aisa kuchh nahi padha... ye bahut der tak saath rahegi... thank you!